 
        पंकज धीर जीवन की कहानी भारतीय सिनेमा और टेलीविजन की दुनिया में प्रेरणा देती है। उन्होंने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल जीते। मुख्य रूप से बी.आर. चोपड़ा के महाभारत में कर्ण की भूमिका के लिए जाने जाते हैं वे। 9 नवंबर 1956 को पंजाब में जन्मे पंकज धीर ने 1980 के दशक में करियर शुरू किया। इसके अलावा, जल्द ही लोकप्रियता की ऊंचाइयों को छुआ उन्होंने। हालांकि, 15 अक्टूबर 2025 को कैंसर से निधन हो गया। इससे पूरी इंडस्ट्री स्तब्ध हो गई। इसलिए, इस लेख में उनके जीवन, करियर और विरासत पर नजर डालेंगे हम।
पंकज धीर महाभारत कर्ण: प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
जीवन की शुरुआत पंजाब में हुई। वहां उन्होंने प्रारंभिक जिंदगी गुजारी। बचपन या शिक्षा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। लेकिन स्पष्ट है कि परिवार में कला और संस्कृति का महत्व था। युवावस्था में अभिनय की दुनिया की ओर रुख किया। इसके अलावा, उनके परिवार में रचनात्मकता का माहौल था। क्योंकि भाई सतलुज धीर भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे। मेहनत से क्षेत्र में कदम रखा उन्होंने। इसलिए जल्द मुंबई की चकाचौंध में शामिल हो गए। फिर भी, जड़ों से जुड़े रहे वे। यह उनके व्यक्तित्व में झलकता था।
उनकी शादी 19 अक्टूबर 1976 को अनीता धीर से हुई। अनीता कॉस्ट्यूम डिजाइनर हैं। उन्होंने ‘विक्टोरिया नंबर 203’ और ‘इक्के पे इक्का’ में काम किया। इसलिए वैवाहिक जीवन फिल्म जगत से जुड़ा रहा। हालांकि पंकज धीर ने निजी जीवन मीडिया से दूर रखा। लेकिन पारिवारिक बॉन्डिंग मजबूत थी।
पंकज धीर महाभारत कर्ण: करियर की शुरुआत और प्रारंभिक भूमिकाएं
1981 में ‘पूतम’ फिल्म से डेब्यू किया। गिरिजा का किरदार निभाया उन्होंने। इसके बाद 1983 में ‘सूखा’ आई। फिर 1987 में ‘मेरा सुहाग’ में काम किया। शुरुआती दौर में ज्यादा सफलता नहीं मिली। लेकिन मेहनत रंग लाई। इसलिए 1988 में महाभारत में कर्ण की भूमिका हासिल की। इससे पहले मलयालम फिल्म ‘रंदम वरावु’ (1990) में नजर आए। इसके अलावा फिर 1990 में ‘जीवन एक संघर्ष’ में महेश ढोलकिया बने। यह करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
इसके अलावा टेलीविजन पर भी छाप छोड़ी। 1993 में ‘जी हॉरर शो’ के ‘दस्तक’ में मुख्य भूमिका निभाई। अर्चना पूरन सिंह के साथ थे। इसी साल ‘कानून’ सीरीज में वकील विजय सक्सेना बने। यह अदालती कहानियों पर आधारित थी। इसलिए इन भूमिकाओं से बहुमुखी अभिनेता स्थापित हुए।
पंकज धीर महाभारत कर्ण: की ऐतिहासिक भूमिका
पंकज धीर जीवन में सबसे यादगार भूमिका महाभारत में कर्ण की रही। 1988-1990 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई। इस किरदार ने घर-घर पहचान दिलाई। कर्ण की वीरता और दानवीरता संवेदनशीलता से निभाई। ट्रेजिक अंत ने दर्शकों को भावुक किया। इसलिए परिणामस्वरूप तस्वीरें स्कूल किताबों में छपीं। इसके अलावा करनाल और बस्तर के मंदिरों में मूर्तियां पूजी गईं। प्रति एपिसोड राशि मिली। लेकिन प्रसिद्धि अमूल्य थी।
फिर 1997-1998 में ‘महाभारत कथा’ में दोबारा कर्ण बने। 2013 में ‘महाभारत और बर्बरीक’ में भी रोल किया। इसलिए कर्ण करियर का अभिन्न हिस्सा बना। इसके अलावा 90 के दशक में स्टार रैंकिंग में तीसरे स्थान पर पहुंचे। यह लोकप्रियता का प्रमाण है।
अन्य टेलीविजन धारावाहिकों में योगदान
महाभारत के बाद कई हिट शोज में काम किया। 1994-1996 में ‘चंद्रकांता’ में राजा शिव दत्त बने। चुनारगढ़ के राजा के रूप में याद किए जाते हैं। फिर 1994 में ‘द ग्रेट मराठा’ में सदाशिवराव भाऊ। 1997 में ‘युग’ में अली खान का रोल लोकप्रिय हुआ। दर्शक असल जीवन में पहचानने लगे।
इसके अलावा 1997 में ‘जी हॉरर शो: अनहोनी’ में राज का किरदार। 1998 में ‘हरिश्चंद्र’ आए। 1999 में ‘रिश्ते’ में दयाशंकर बने। 2000 के दशक में ‘तीन बहुरानियां’ (2008-2009) में द्वारकादास। फिर ‘राजा की आएगी बारात’ (2008-2010) में राजा साहब। इसके अलावा ‘एक सफर ऐसा कभी सोचा न था’ (2009) में मिस्टर राठौर। फिर 2011-2012 में ‘ससुराल सिमर का’ में जमनालाल द्विवेदी। 2012-2014 में ‘देवों के देव…महादेव’ में हिमावत। हाल के वर्षों में ‘अजूनी’ (2022-2023) में रविंदर सिंह बग्गा। ‘ध्रुव तारा’ (2024) में गिरिराज। इसलिए इनसे बहुमुखी प्रतिभा साबित की।
फिल्म करियर की झलकियां
1991 में ‘सौगंध’ में ठाकुर रणवीर सिंह। ‘सनम बेवफा’ में जुबेर खान। ‘सड़क’ में इंस्पेक्टर इरानी। 1992 में ‘मिस्टर बॉन्ड’ में ड्रैगन/डागा। फिर 1993 में ‘आशांत’ में अमित। ‘आशिक आवारा’ में रणवीर। 1994 में ‘इक्के पे इक्का’ में रंधीर। 1995 में ‘निशाना’ में पुलिस कमिश्नर मलिक। ‘पांडव’ में काम किया।
इसके अलावा 1998 में ‘सोल्जर’ में विजय मल्होत्रा। 1999 में ‘बादशाह’ में चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर खन्ना। 2002 में ‘तुमको ना भूल पाएंगे’ में शिवप्रताप सिंह। फिर 2003 में ‘अंदाज’ में प्रोफेसर रोहित मल्होत्रा। ‘जमीन’ में कैप्टन बशीर अली। 2004 में ‘टार्जन: द वंडर कार’ में राकेश कपूर। 2013 में ‘गिप्पी’ में पापाजी। हालांकि ज्यादातर सहायक भूमिकाएं थीं। लेकिन हर रोल में जान फूंकी।
निर्देशन और अन्य योगदान
2014 में ‘माय फादर गॉडफादर’ का निर्देशन किया। बेटी-बहू कृतिका सेंगर को मौका दिया। इससे पहले 2006 में भाई सतलुज के साथ ‘विजाज स्टूडियोज’ स्थापित की। फिर 2010 में मुंबई में ‘अभिन्नय एक्टिंग एकेडमी’ शुरू की। गूफी पेंटल मेंटर थे। इसलिए नई पीढ़ी को प्रशिक्षित किया।
पारिवारिक जीवन
परिवार छोटा लेकिन खुशहाल था। पत्नी अनीता के अलावा बेटा निकितिन धीर। निकितिन सफल अभिनेता हैं। ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ में थंगाबली के लिए मशहूर। निकितिन की पत्नी कृतिका सेंगर ‘झांसी की रानी’ फेम। पंकज ने खुद चुना उन्हें। दोनों की बेटी देविका 2022 में जन्मी। इसके अलावा बेटी नितिका शाह भी हैं। परिवार समर्थन में रहा हमेशा।
निधन और विरासत
कैंसर से जूझ रहे थे पंकज धीर। इसलिए 15 अक्टूबर 2025 को 68 वर्ष में निधन हुआ। मुंबई के विले पार्ले में अंतिम संस्कार। हालांकि विरासत अमर है। महाभारत के कर्ण से आधुनिक शोज तक मिसाल कायम की। इसलिए दर्शक याद रखेंगे हमेशा।
 
         
         
        